रेलवे ने आज फिर श्रमिक ट्रेनों को लेकर कुछ नई गाइडलाइन जारी की है और कुछ बदलाव किए हैं। ये श्रमिक ट्रेनें कई राज्यों में फंसे मजदूरों और श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए चलाई गई थी।

मंत्रालय ने अतिरिक्त रूप से उन विशेष ट्रेनों की क्षमता को मौजूदा 1,200 से बढ़ाकर 1,700 से अधिक करने का निर्णय लिया है। संशोधित संकेत बताते हैं कि उन ट्रेनों की क्षमता स्लीपर बर्थ की विविधता के बराबर होनी चाहिए। यानी पहले 1200 मजदूर एक ट्रेन में सफर करते थे वहीं अब 1700 मजदूर इसमें सफर कर पाएंगे।

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इसके अलावा, इन ट्रेनों में अब तीन स्टॉपेज समाप्ति स्टेशन को छोड़कर) हो सकते हैं यानी ट्रेन 3 जगह पर रुकेगी।


अपने पत्र में, गृह मंत्रालय के अजय भल्ला ने उल्लेख किया कि प्रत्येक एक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को प्रवासी कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त श्रमिक ’की विशेष गाड़ियों में रेलवे का सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने अतिरिक्त रूप से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया कि वे सुनिश्चित करें कि प्रवासी कर्मचारी सड़कों का उपयोग ना करें और ना ही रेल पटरियों पर टहलें। अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए केवल उनके लिए चलाई गई ट्रेनों करें।

भारतीय रेलवे ने 1 मई से 428 श्रमिक ’ट्रेनों का परिचालन किया है और कोरोनोवायरस-प्रेरित लॉकडाउन के दौरान राष्ट्र के विभिन्न घटकों में फंसे 4.5 लाख से अधिक प्रवासियों को रविवार को पहुंचाया गया।

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9 मई तक, 287 ट्रेनों का संचालन हुआ था जिनमे उत्तर प्रदेश में 127, बिहार में 87, मध्य प्रदेश में 24, ओडिशा में 20, झारखंड में 16, राजस्थान में 4, महाराष्ट्र में तीन, तेलंगाना और पश्चिम में दो बंगाल, और आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में 1-1 ट्रेनें शामिल थी।

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